बिहार में शराबबंदी का कड़वा व काला सच 𝟗𝟗% गिरफ़्तार गरीब, दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों के लोग!

एम ए न्यूज डेस्क
👉 शराबबंदी कानून के तहत अब तक 𝟗 लाख 𝟑𝟔 हजार 𝟗𝟒𝟗 मुकदमें दर्ज किए गए है जिसके तहत 𝟏𝟒 लाख 𝟑𝟐 हजार 𝟖𝟑𝟕 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। आश्चर्यजनक है कि इन 𝟏𝟒𝟑𝟐𝟖𝟑𝟕 में से लगभग 𝟏𝟒,𝟐𝟎𝟕𝟎𝟎 से अधिक गिरफ़्तार लोग यानि 𝟗𝟗% से भी अधिक गरीब, दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों के है। बाक़ी बचे 𝟏 प्रतिशत से भी कम गिरफ़्तार लोगों में ग़ैर दलित, ग़ैर पिछड़ा/गैर अतिपिछड़ा और अन्य राज्यों के लोग है।
👉 सरकारी आँकड़ों के अनुसार बिहार में 𝟑 करोड़ 𝟖𝟔 लाख 𝟗𝟔 हजार 𝟓𝟕𝟎 लीटर शराब बरामद की गई। इसमें 𝟐 करोड़ 𝟏𝟎 लाख 𝟔𝟒 हजार 𝟓𝟖𝟒 लीटर विदेशी तथा 𝟏 करोड़ 𝟕𝟔 लाख 𝟑𝟏 हजार 𝟗𝟖𝟔 लीटर देशी शराब शामिल है। इसका मतलब हुआ कि बिहार में विदेशी शराब की खपत अधिक है। अब गरीब लोग तो 𝟐 करोड़ 𝟏𝟎 लाख लीटर विदेशी शराब पियेंगे नहीं? फिर बिहार में विदेशी शराब कौन पीता है? उत्तर है अमीर लोग- जिन्हें ये भ्रष्ट सरकार और पुलिस गिरफ़्तार नहीं करती?
👉 सरकार बतायें कि 𝟗,𝟑𝟔,𝟗𝟒𝟗 मुकदमें दर्ज होने और 𝟏𝟒,𝟑𝟐, 𝟖𝟑𝟕 लोगों को गिरफ़्तार करने के बाद भी बिहार में 𝟑,𝟖𝟔,𝟗𝟔,𝟓𝟕𝟎 लीटर शराब कहाँ से आ रही है? शराब किसकी मिलीभगत से आ रही है? सप्लाई कौन कर रहा है?
👉 बिहार पुलिस और बिहार सरकार ने शराबबंदी को अवैध उगाही, तस्करी और भ्रष्टाचार का एक सशक्त उपकरण बना लिया है। क्या यह सच नहीं है कि शराबबंदी के नाम पर बिहार में 𝟒𝟎 हज़ार करोड़ से अधिक के अवैध कारोबार यानि 𝐁𝐥𝐚𝐜𝐤 𝐌𝐚𝐫𝐤𝐞𝐭 अर्थात् काला बाजार की समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है। तेजस्वी यादव